पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के महाकुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ कहने वाले बयान पर विवाद तेज हो गया है। उनके इस बयान के खिलाफ विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीखा हमला बोला है, जबकि साधु-संतों में भी नाराजगी देखी जा रही है। बढ़ते विवाद के बीच अब ममता बनर्जी ने अपनी सफाई पेश की है।
ममता बनर्जी ने आगे कहा कि भारत विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं, शिक्षा प्रणालियों और आस्थाओं वाला देश है, जहां हर राज्य की अपनी पहचान है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी विचारधारा हमेशा ‘विविधता में एकता’ के सिद्धांत पर आधारित रही है। न्यू टाउन इलाके में नारायणा हेल्थ सिटी के शिलान्यास समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सभी संस्कृतियों और परंपराओं का सम्मान करती है।
हाल ही में विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान ममता बनर्जी ने कहा था कि महाकुंभ एक पवित्र आयोजन है और वह मां गंगा का पूरा सम्मान करती हैं, लेकिन वहां गरीबों के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अमीरों के लिए महंगे टेंट और विशेष सुविधाओं का इंतजाम किया गया है, जबकि आम श्रद्धालुओं को मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि भगदड़ जैसी घटनाओं के बाद इस तरह के आयोजनों की सुरक्षा और व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए कितनी समितियां गठित की गई हैं।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने ममता बनर्जी के बयान की आलोचना करते हुए इसे सनातन धर्म का अपमान करार दिया। उन्होंने कहा कि उनके शब्दों पर प्रतिक्रिया देना भी कठिन हो गया है। रामभद्राचार्य ने कहा कि ममता बनर्जी कुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ कह रही हैं, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री को ऐसा अपमानजनक बयान नहीं देना चाहिए था और इसे उनकी संकीर्ण सोच का परिणाम बताया। उनका कहना था कि अब तक कुंभ का आयोजन इतनी भव्यता के साथ हुआ है, और इस तरह का विवादित बयान देना उचित नहीं है।