नई दिल्ली: क्रिकेटर मोहम्मद शमी की एक तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। इस तस्वीर में शमी सेमीफाइनल मैच के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैदान में एनर्जी ड्रिंक पीते नजर आ रहे हैं। विवाद की वजह यह है कि यह तस्वीर रमजान के महीने की बताई जा रही है, जब मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। कुछ मौलानाओं ने शमी के रोजा न रखने पर आपत्ति जताई है। अब यह मामला तूल पकड़ चुका है और राजनीतिक रंग भी लेने लगा है। बीजेपी ने इस मुद्दे पर शमी का समर्थन किया है।
भाई दुबई में खेल रहे हैं, और दुबई का सफर काफी लंबा होता है। इस्लामिक नियमों के अनुसार, जब कोई व्यक्ति 70 किलोमीटर से अधिक की यात्रा पर होता है, तो वह रोजा छोड़ सकता है और बाद में इसे पूरा कर सकता है। यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, लेकिन कुछ लोग हर बात को इस तरह पेश करते हैं जैसे यह इस्लाम के खिलाफ हो। असल में, इस्लाम में कई और महत्वपूर्ण चीजें हैं जिनका पालन करना जरूरी है, लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया जाता। मौलाना साहब को ऐसी गंभीर विषयों पर भी ध्यान देना चाहिए और लोगों को सही जानकारी देकर जागरूक करना चाहिए।
शमी पर उठते सवाल, लेकिन क्या ये वाकई बड़ा मुद्दा?
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मोहम्मद शमी के एनर्जी ड्रिंक पीने को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में रोजा रखना एक फर्ज है, और अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर रोजा नहीं रखता, तो वह गुनाहगार माना जाता है। उनके मुताबिक, शमी ने रमजान के दौरान रोजा नहीं रखा, जो कि इस्लामिक नियमों के अनुसार एक गंभीर गलती है। शरीयत की नजर में इसे गलत ठहराते हुए उन्होंने शमी की आलोचना की है।
बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने मोहम्मद शमी के रोजा न रखने के विवाद पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि आस्था किसी भी व्यक्ति का निजी मामला है। कौन सा व्रत रखना है, कैसी पूजा या इबादत करनी है, यह हर व्यक्ति की अपनी इच्छा पर निर्भर करता है। कोई भी मजहब का ठेकेदार बनकर यह तय नहीं कर सकता कि किसे समाज से बेदखल किया जाए। ऐसी दादागिरी अब नहीं चलेगी और इसे बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शमी देश के लिए क्रिकेट खेल रहे हैं, लेकिन कुछ लोगों को यह बात बर्दाश्त नहीं हो रही है।