Holi 2025: इस साल 13 या 14 मार्च को कब मनाई जाएगी होली? जानें होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

होलिका दहन विधि: जानें पूजन सामग्री, अग्नि प्रज्वलन और शुभ मुहूर्त

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Holi ka Shubh Muhurat 2025: इस साल होली का पर्व 14 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा, जबकि होलिका दहन 13 मार्च, गुरुवार को किया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इसे छोटी होली के रूप में भी मनाया जाता है। इस वर्ष होलिका दहन का समय 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से शुरू होकर 14 मार्च को दोपहर 12:23 बजे तक रहेगा। शुभ मुहूर्त 13 मार्च की रात 11:26 बजे से प्रारंभ होकर 14 मार्च की रात 12:30 बजे तक रहेगा।

भद्रा काल में होलिका दहन अशुभ, जानें सही समय और महत्व

होलिका दहन के दिन भद्रा का प्रभाव भी रहेगा, जो 13 मार्च को सुबह 10:35 बजे से शुरू होकर रात 11:26 बजे तक रहेगा. शास्त्रों के मुताबिक भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है, इसलिए इसे खत्म होने के बाद ही दहन किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अनुष्ठान से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है.

होलिका दहन की विधि और महत्व

होलिका दहन के दौरान, एक पेड़ की टहनी या लकड़ी को भूमि में स्थापित किया जाता है और उसके चारों ओर उपले, लकड़ियां और कंडे रखे जाते हैं। शुभ मुहूर्त में अग्नि प्रज्वलित कर इसमें गोबर के उपले, गेहूं की नई बालियां और उबटन अर्पित किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस अग्नि की राख को घर लाने और तिलक करने से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है। कई स्थानों पर इस दिन को छोटी होली के रूप में भी मनाया जाता है।

देशभर में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है होली, जानें खास परंपराएं

भारत में होली अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाई जाती है। ब्रज क्षेत्र में यह उत्सव 15 दिनों तक बड़े धूमधाम से चलता है, जबकि बरसाना में प्रसिद्ध लठमार होली खेली जाती है। महाराष्ट्र में सूखे गुलाल से होली खेलने की परंपरा है, जिससे पानी की बचत होती है। वहीं, मध्यप्रदेश के मालवा अंचल में मुख्य होली के पांचवें दिन रंगपंचमी मनाई जाती है, जिसे विशेष उल्लास के साथ मनाया जाता है।

महाराष्ट्र में सूखे गुलाल से होली खेलने की परंपरा है, जबकि दक्षिण गुजरात के आदिवासी समाज के लिए यह सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। छत्तीसगढ़ में होली का उत्सव लोकगीतों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सराबोर रहता है, वहीं मालवा अंचल में इसे भगोरिया उत्सव के रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

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