आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी, जो वर्ल्ड कप के समान कठिन मानी जाती है, में इस बार 8 टीमें खिताब के लिए अपनी ताकत आजमाएंगी। टूर्नामेंट का उद्घाटन 19 फरवरी को पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के बीच कराची में होगा, और अगले तीन हफ्तों तक यह आयोजन क्रिकेट के रोमांचक मुकाबलों से भरा रहेगा। भारतीय टीम के मुकाबले दुबई में होंगे, जबकि बाकी टीमें पाकिस्तान में खेलेगी, जहां 1996 के वर्ल्ड कप के बाद यह पहला आईसीसी टूर्नामेंट हो रहा है।
चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत और पाकिस्तान की टीमें 23 फरवरी को आमने-सामने होंगी। इन दोनों चिर प्रतिद्वंद्वियों के बीच हर मुकाबला हमेशा ‘ब्लॉकबस्टर’ होता है। इस मैच में न केवल क्रिकेट का रोमांच होगा, बल्कि सरहद के दोनों ओर भावनाओं का तूफान उठेगा, पुरानी यादों का जिक्र होगा, और सोशल मीडिया पर गहमा-गहमी देखी जाएगी, जो किसी बड़े अखाड़े से कम नहीं होगी।
इस टूर्नामेंट में टीम के समीकरणों के अलावा खिलाड़ियों पर भी नजरें होंगी, जिनमें रोहित शर्मा और विराट कोहली सबसे ऊपर हैं. माना जा रहा है कि आधुनिक क्रिकेट के दोनों दिग्गज अपने करियर के आखिरी पड़ाव पर हैं. ऐसे में दोनों का लक्ष्य जीत के साथ विदा लेना का हो सकता है.
चाहे परिणाम कुछ भी हो, चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद भारतीय वनडे टीम में रोहित शर्मा और विराट कोहली के लिए जगह मुश्किल हो सकती है। यदि इस टूर्नामेंट में उनका प्रदर्शन खराब रहता है, तो इसका असर उनके टेस्ट क्रिकेट करियर पर भी पड़ सकता है। भारत के इंग्लैंड दौरे से पहले, जून में चयनकर्ताओं को इन दोनों दिग्गजों की भूमिका पर पुनः विचार करने की आवश्यकता पड़ सकती है।
चैम्पियंस ट्रॉफी में अगर भारतीय टीम नाकाम रहती है, तो इसका असर कोच गौतम गंभीर पर भी पड़ सकता है। इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में अच्छे प्रदर्शन से उन्हें कुछ राहत मिली हो, लेकिन न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से मिली हार को जल्द भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे में उनकी कोचिंग के भविष्य पर सवाल उठ सकते हैं, खासकर अगर टीम उम्मीदों पर खरा नहीं उतरती।
आईसीसी खिताब इस समय गौतम गंभीर के लिए एक बड़ा सहारा बन सकता है। भारतीय टीम ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2013 में चैम्पियंस ट्रॉफी जीतने के बाद से कोई वनडे खिताब नहीं जीता है, और अब यह टीम के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। ऐसे में अगर टीम इस टूर्नामेंट में सफलता हासिल करती है, तो यह उनके लिए न केवल एक अहम जीत होगी, बल्कि गंभीर की कोचिंग के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में खिताब की सबसे मजबूत दावेदार के रूप में मैदान में उतरेगी, लेकिन एक खराब सेशन या एक पल की गलती सब कुछ बदल सकती है—जैसा कि 2023 विश्व कप फाइनल में हुआ था। पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन के बावजूद, भारतीय टीम दबाव के कारण फाइनल में सफलता नहीं हासिल कर सकी, और ट्रॉफी उनके हाथ से निकल गई। इस बार भी ऐसी किसी स्थिति से बचना टीम के लिए महत्वपूर्ण होगा।