एक नए अध्ययन में पाया गया है कि टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित पुरुषों और महिलाओं के लिए जिम जाने का तरीका थोड़ा अलग हो सकता है। ब्राज़ील की Universidade Federal do Vale do Sao Francisco और ब्रिटेन की Staffordshire University के शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर व्यायाम की दिनचर्या को व्यक्ति के अनुसार तैयार किया जाए, तो टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को ब्लड शुगर नियंत्रण में बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
यह अध्ययन The American Journal of Cardiology में प्रकाशित हुआ, जिसमें टाइप 1 डायबिटीज (T1D) वाले लोगों के लिए व्यायाम के महत्व पर जोर दिया गया है। अक्सर, डायबिटीज के मरीज हाइपोग्लाइसीमिया (ब्लड शुगर कम होने) की चिंता के कारण व्यायाम करने से बचते हैं। Staffordshire University के डॉ. पूया सोलतानी ने बताया कि इस अध्ययन के निष्कर्ष लोगों को इन चिंताओं को दूर करने और व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करने में मदद कर सकते हैं।
टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों के लिए व्यायाम क्यों जरूरी है?
डॉ. श्रीनिवास कंदुला, कंसल्टेंट एंडोक्रिनोलॉजिस्ट, केयर हॉस्पिटल्स, नामपल्ली, हैदराबाद के अनुसार, लगातार एरोबिक व्यायाम टाइप 1 डायबिटीज (T1D) से पीड़ित लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। यह इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने, ब्लड ग्लूकोज़ स्तर को नियंत्रित रखने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
बेहतर ब्लड शुगर नियंत्रण: लगातार एरोबिक व्यायाम इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाता है, जिससे मांसपेशियां ग्लूकोज का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकती हैं। यह ब्लड शुगर स्तर को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है, जो टाइप 1 डायबिटीज के प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
हृदय स्वास्थ्य के लाभ: टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में हृदय रोग का खतरा अधिक होता है। वॉकिंग, जॉगिंग और स्विमिंग जैसे एरोबिक व्यायाम हृदय और फेफड़ों के स्वास्थ्य को सुधारते हैं और हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।
पुरुषों और महिलाओं के लिए व्यायाम संबंधी सिफारिशें अलग क्यों होती हैं?
डॉ. कंदुला के अनुसार, शरीर की संरचना और हार्मोनल परिवर्तनों में अंतर होने के कारण पुरुषों और महिलाओं के लिए व्यायाम की सिफारिशें भिन्न होती हैं। टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में मासिक चक्र के कारण इंसुलिन सेंसिटिविटी में अधिक उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे उनके ब्लड ग्लूकोज स्तर पर पुरुषों की तुलना में अलग प्रभाव पड़ता है।
पुरुषों और महिलाओं के लिए व्यायाम के प्रभाव
अध्ययन के अनुसार, पुरुषों के लिए तब जब ब्लड शुगर कम हो, छोटे अंतराल में किए जाने वाले व्यायाम एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं। लेकिन अगर ब्लड शुगर अधिक हो, तो लगातार गति वाले व्यायाम जैसे दौड़ना इसे संतुलित रखने में मदद कर सकता है।
महिलाओं के लिए व्यायाम का प्रभाव थोड़ा अधिक लचीला होता है। उनके लिए छोटे अंतराल वाले व्यायाम और स्थिर गति वाले वर्कआउट, दोनों ही प्रभावी हो सकते हैं।
सही मात्रा में व्यायाम कैसे तय करें?
टाइप 1 डायबिटीज के साथ व्यायाम करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इसमें हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) का खतरा रहता है। डॉ. कंदुला के अनुसार, इंसुलिन स्तर, कार्बोहाइड्रेट सेवन और ब्लड ग्लूकोज की निगरानी का सही संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है। अगर इंसुलिन की मात्रा बहुत ज्यादा कम कर दी जाए, तो हाइपरग्लाइसीमिया (उच्च ब्लड शुगर) हो सकता है, जबकि पर्याप्त भोजन न लेने से ब्लड शुगर बहुत कम हो सकता है।
व्यक्ति की उम्र, फिटनेस स्तर और डायबिटीज प्रबंधन के आधार पर सही व्यायाम की मात्रा अलग-अलग हो सकती है। हालांकि, डॉ. कंदुला इस बात पर जोर देते हैं कि हर व्यक्ति को अपने लिए एक “सही संतुलन” खोजना चाहिए, ताकि व्यायाम से अधिकतम लाभ मिल सके।
प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट का मध्यम एरोबिक व्यायाम करने का प्रयास करें, जैसे तेज़ चाल से चलना या साइकिल चलाना।
ज्यादा तीव्रता वाले वर्कआउट करते समय सावधानी बरतें और संभावित जटिलताओं से बचने के लिए अपने ब्लड शुगर स्तर की नियमित रूप से निगरानी करें।
अस्वीकरण: यह लेख सार्वजनिक स्रोतों और विशेषज्ञों की जानकारी पर आधारित है। कोई भी नया व्यायाम या दिनचर्या शुरू करने से पहले हमेशा अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श लें।