महाकुंभ 2025: संगम रेलवे स्टेशन अस्थायी रूप से बंद: महाकुंभ 2025 को लेकर दुनियाभर के श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह है, और इसी कारण प्रयागराज में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। ऐसे में भीड़ प्रबंधन और यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने संगम रेलवे स्टेशन (दारागंज) को 28 फरवरी 2025 तक अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है।
अगर यात्रियों की भीड़ इसी तरह बढ़ती रही तो संगम रेलवे स्टेशन को आगे भी कुछ दिनों तक बंद रखा जा सकता है। ऐसे में अगर आप महाकुंभ की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो आपको दूसरे वैकल्पिक स्टेशनों के बारे में जानना जरूरी है। साथ ही, यह भी समझना जरूरी है कि किसी रेलवे स्टेशन को अस्थायी रूप से बंद करने का क्या अर्थ होता है और इसके पीछे क्या कारण होते हैं। आइए, इस विषय पर विस्तार से जानते हैं।
संगम रेलवे स्टेशन ही क्यों हुआ बंद?
महाकुंभ के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालुओं की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने संगम रेलवे स्टेशन (दारागंज) को अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है। जिला प्रशासन की ओर से मंडल रेल प्रबंधक को भेजे गए पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया कि मेले के सुचारू और सुरक्षित संचालन के लिए यह कदम उठाना आवश्यक है। चूंकि यह स्टेशन कुंभ मेला क्षेत्र के सबसे करीब स्थित है, यहां अत्यधिक भीड़ उमड़ रही थी, जिससे अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो सकती थी। इसी वजह से यात्रियों की सुरक्षा और सुव्यवस्थित यातायात को ध्यान में रखते हुए इसे 28 फरवरी तक बंद करने का फैसला किया गया।
आमतौर पर रेलवे स्टेशन को पूरी तरह बंद नहीं किया जाता, लेकिन जब किसी विशेष परिस्थिति, आपदा या बड़े आयोजन के कारण भीड़ प्रबंधन की आवश्यकता होती है, तब अस्थायी रूप से स्टेशन को बंद करने का निर्णय लिया जाता है। संगम रेलवे स्टेशन (दारागंज) को भी इसी कारण 28 फरवरी तक बंद किया गया है। यह बंदी स्थायी नहीं है, बल्कि सुरक्षा और सुव्यवस्था बनाए रखने के लिए की गई है। तय समय पूरा होने के बाद स्टेशन को फिर से यात्रियों के लिए सामान्य रूप से खोल दिया जाएगा।
जब कोई रेलवे स्टेशन बंद होता है, तो इसका प्रभाव कई स्तरों पर देखा जाता है। सबसे पहले, वहां से यात्रा करने वाले यात्रियों को असुविधा होती है, क्योंकि उन्हें अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए किसी अन्य स्टेशन तक जाना पड़ता है। इससे उनकी यात्रा में समय और खर्च दोनों बढ़ जाते हैं। दूसरी ओर, भारतीय रेलवे को भी नुकसान झेलना पड़ता है, क्योंकि ट्रेनों के संचालन में बदलाव से राजस्व प्रभावित होता है। इसके अलावा, स्टेशन के आसपास छोटे दुकानदारों, खाने-पीने के स्टॉल लगाने वालों और स्थानीय व्यापारियों की आजीविका पर भी गहरा असर पड़ता है, क्योंकि यात्रियों की आवाजाही कम होने से उनकी बिक्री घट जाती है।