नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अफरा-तफरी में 18 की जान गई: घायलों को न एंबुलेंस मिली, न समय पर मदद

0
57

नई दिल्ली। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के बाद अफरा-तफरी मच गई। घायल यात्री दर्द से कराहते रहे, लेकिन उन्हें समय पर मदद नहीं मिल सकी। परिजन अपने अपनों को अस्पताल ले जाने के लिए इधर-उधर दौड़ते रहे, मगर न तो कोई सहायता करने वाला दिखा और न ही मौके पर एंबुलेंस उपलब्ध थी।

ऐसे हालात में कोई अपने घायल परिजन को पैदल ही अस्पताल ले जाने की कोशिश कर रहा था, तो कोई निजी वाहनों का सहारा ले रहा था। स्थिति इतनी भयावह थी कि स्टेशन पर बढ़ती भीड़ के बावजूद प्रशासन ने कोई विशेष प्रबंधन नहीं किया था। प्रयागराज जाने वाली ट्रेनों के कारण पिछले कुछ दिनों से स्टेशन पर भारी भीड़ उमड़ रही थी, लेकिन अव्यवस्था का यह आलम था कि भगदड़ में घायल लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए कोई उचित इंतजाम तक नहीं किया गया, जिससे कई घायलों को समय पर इलाज नहीं मिल सका।

 नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अफरा-तफरी में 18 की जान गई: घायलों को न एंबुलेंस मिली, न समय पर मदद

भीड़ किस ट्रेन के लिए जुटी थी?

प्रशासन तब हरकत में आया जब लोकनायक अस्पताल में इलाज के दौरान 18 घायलों की मौत की पुष्टि हो गई। जांच में पता चला कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से रोजाना रात 8 बजे के बाद प्रयागराज के लिए कई ट्रेनें रवाना होती हैं, जिससे वहां भारी भीड़ जमा हो जाती है। इसी भीड़ के बीच अव्यवस्था के कारण यह दर्दनाक हादसा हुआ।

भीड़ किस ट्रेन के लिए जुटी थी?

ये ट्रेनें आमतौर पर प्लेटफार्म नंबर 12 से 16 के बीच से रवाना होती हैं। जैसे ही रात 8 बजे के बाद ट्रेनों के प्रस्थान का समय नजदीक आता है, प्लेटफार्म पर यात्रियों की भीड़ पहले से ही बढ़ने लगती है। रेलवे स्टेशन से जुड़े सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज जाने वाले यात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, जिससे स्टेशन पर भीड़ का दबाव बढ़ गया है।

हालात अचानक कैसे बेकाबू हुए?

शनिवार की शाम से ही स्टेशन पर भीड़ तेजी से बढ़ रही थी, लेकिन न तो रेलवे प्रशासन ने कोई विशेष व्यवस्था की थी और न ही रेलवे पुलिस ने सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए थे। इन प्लेटफार्मों पर गिनती के कुछ ही पुलिसकर्मी मौजूद थे, जबकि इतनी भारी भीड़ को संभालने के लिए हर प्लेटफार्म पर कम से कम 30 से 40 पुलिसकर्मियों की तैनाती जरूरी थी। वहीं, रेलवे के कर्मचारी भी वहां नदारद नजर आए, जिससे स्थिति और भी अनियंत्रित हो गई।

हालात अचानक कैसे बेकाबू हुए?

प्रशासन बेखबर! बड़ी घटना के बाद भी नहीं मिली जानकारी

यह सोचने वाली बात है कि रेलवे और रेलवे पुलिस को यह कैसे पता नहीं चला कि स्टेशन पर भीड़ बेकाबू हो गई थी। प्रशासन की लापरवाही का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि घायलों को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। स्टेशन पर केवल एक ही एंबुलेंस मौजूद थी, जबकि ऐसे हालात में अतिरिक्त एंबुलेंस का इंतजाम किया जाना जरूरी था।

कुछ लोग घायलों को ऑटो में बैठाकर अस्पताल ले गए, तो कुछ ने वहां मौजूद निजी वाहनों की मदद ली। अफरा-तफरी के बीच लोग अपनी जान बचाने और दूसरों की मदद करने में लगे रहे, लेकिन प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। हैरानी की बात यह है कि इतनी गंभीर स्थिति के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों की कोई तत्परता नजर नहीं आई।

प्रशासन तब हरकत में आया जब लोकनायक अस्पताल में घायलों को लाया गया, जहां 18 लोगों की मौत की पुष्टि हुई। इसके बाद स्थिति को संभालने के लिए रेलवे स्टेशन पर करीब 50 एंबुलेंस तैनात की गईं। एनडीआरएफ, पुलिस और अन्य एजेंसियां भी मौके पर पहुंचीं। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब भीड़ लगातार बढ़ रही थी, तब पहले से पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किए गए?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here